चंदा घूरे हैं मुझे,
चंदा घूरे हैं मुझे,……. लगा टकटकी आज !
रात चाँदनी मे सखी, किस विध देखूँ ताज !!
रात चाँदनी चाँद की ,कालिंदी कर शोर !
देख नजारा ताज का,मन में उठे हिलोर !!
रमेश शर्मा
चंदा घूरे हैं मुझे,……. लगा टकटकी आज !
रात चाँदनी मे सखी, किस विध देखूँ ताज !!
रात चाँदनी चाँद की ,कालिंदी कर शोर !
देख नजारा ताज का,मन में उठे हिलोर !!
रमेश शर्मा