चंचल
विषय- चंचल !!
हंस दोहा
विधान – १४ गुरु २० लघु !
मृदुल मुदित मन माधुरी, नैना घेरी लाज!
मुग्धा मधुमय मोहिनी , चंचल चित अंदाज !!
लाली लब ले लालिमा, घेरे सरल कपोल!
चंचल चितवन नायिका, अँखिया अंजन घोल!!
कुंचित अलकों की कला, छाई विधु मुख पास!
चपल दृष्टि लीलामयी , निखरा रूप उजास!!
अवयव शोभा शालिनी, कोमल किसलय डार !
मोह राग सी रागिनी , चेतनता करतार !!
सजग संगिनी सारथी, जीवन का उपकार !
चंचल नयनों में बसा , प्रभुता का अवतार !!
छगन लाल गर्ग विज्ञ!