चंचल मन
मन पर किसका जोर है, मन चंचल नादान।
मन पर काबू कीजिए, मन की कभी न मान।
मन की कभी न मान, नहीं तो फंस जाओगे।
दिल-दिमाग के बिना, मूढ़ ही कहलाओगे।
कह “प्रेमी” सब व्यर्थ जायेगा कर्म और धन।
दिल दिमाग पर गर हाबी हो बैठा ये मन।
सत्य कुमार ‘प्रेमी’