राम नाम हिय राख के, लायें मन विश्वास।
संसार का स्वरूप
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
जो नहीं मुमकिन था, वो इंसान सब करता गया।
यह मौसम और कुदरत के नज़ारे हैं।
ग़ज़ल _ आराधना करूं मैं या मैं करूं इबादत।
चेहरे पर लिए तेज निकला है मेरा यार
"प्यार के दीप" गजल-संग्रह और उसके रचयिता ओंकार सिंह ओंकार
‘’The rain drop from the sky: If it is caught in hands, it i
हिम्मत वाली प्रेमी प्रेमिका पति पत्नी बनतेहै,
करके याद तुझे बना रहा हूँ अपने मिजाज को.....
शालीनता की गणित
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}