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19 Jul 2021 · 7 min read

घोसडी वाले।

“घोसडी वाले”
शुभम काफी देर से चैट कर रहा था। चैट करते करते उसकी उंगलियां और आंख दोनों थक गए तो उसने सेलफोन को किनारे रख दिया और कमरे को एक सरसरी निगाहों से देखा। नया तो कुछ भी नहीं था पर पता नहीं आज उसे सब अज़ीब सा लगा। उसे आश्चर्य हुआ कि आजतक उसके ध्यान में यह बात क्यों नहीं आई। सोनी का स्मार्ट टीवी बन्द था और सबकी निगाहें अपने अपने सेलफोन पर थीं। रंजय जीजू कोई पुराना T 20 मैच देख रहे थे। रीता दीदी आम दिनों की तरह यू ट्यूब पर कोई रेसिपी समझ रही रहीं थीं। पायल उसकी भांजी भी सेलफोन में व्यस्त थीं। सबके कानों में हेड फोन लगा था ताकि बाकी लोग डिस्टर्ब न हों। सिर्फ उसका भांजा जीत तेज आवाज़ में कोई कार्टून फ़िल्म देख रहा था। शुभम को लगा वह घर में नहीं किसी चिड़िया घर में बैठा है जहाँ प्रत्येक प्राणी अपने अपने पिंजरे में कैद है। अचानक से उसका मन उचट सा गया।वह किचन में गया , फ्रिज से निकाल कर दो चार घूँट स्लाइस के पिये और वापस हाल कमरे में आ गया। उसने सबके पास जाकर सेलफोन रखने को कहा। बाकी लोगों ने तो पॉज़ करके सेल रख दिया पर जीत जल्दी तैयार नहीं हुआ। पर अन्ततः उसे भी शुभम की बात माननी पड़ी। सब शुभम की तरफ कौतूहल से देख रहे थे।
शुभम : हम सभी लोग पिछले कितनी देर से एक ही कमरे में हैं पर लग रहा है जैसे मीलों दूर बैठे हैं।
रीता : तो इसमें हैरानी की क्या बात है ? यह सब तो अब रूटीन हो गया है। और कोरोना काल में नेट पर पढाई करने के कारण हर बच्चे के हाथ में उसका एक पर्सनल सेल आ गया है।
शुभम ने पायल से AC का तापमान कम करने को कहा औऱ रीता से मुख़ातिब हुआ : पर कभी कभी तो हम इससे दूर रहकर भी बातचीत कर सकते हैं। एक परिवार की तरह मौज मस्ती कर सकते हैं।
रीता ने ना का इशारा किया : जरूर तेरे मन में कोई दुष्टता आयी होगी तभी तू ऐसा कह रहा है।
शुभम हंसने लगा : दीदी आप तो बेकार का शक करने लगती हैं।
रीता भौहें टेढ़ी करके बोली : पिछली बार ऐसे ही फंसा कर जीत से “लक्ष्मी बॉम्ब” वाला डांस करवाया था और फिर उसे पूरी रिश्तेदारों में वायरल कर दिया था।
” तो क्या हुआ , इससे लोगों को पता तो चला जीत कितना टैलेंटेड है । रंजय ने हंसते हुए कहा।
रीता ने शिकायती लहज़े में कहा : आप भी शुभम से कम थोड़े है। चल बता शुभम आज क्या शरारत सूझी है।और आज कोई रिकॉर्डिंग नहीं।
शुभम : दीदी सबके सेल फोन हटा दिए हैं अब रिकॉर्डिंग कैसे होगी ? जीत बेटा आज एक नया गेम खेलेंगे।
पायल और जीत ने एक साथ पूछा : कौन सा नया गेम ?
शुभम ने अपना पर्स निकाला , सौ सौ के दस नोट निकाले और रंजय की तरफ़ बढ़ा दिया।
रंजय : यह क्या ?
शुभम : आप रखो तो सही। जीत मैंने आपके पापा को सौ सौ रुपये के दस नोट दिए हैं। अब गेम यह है कि आपको गालियां देनी हैं। हर गाली पर सौ रुपया आपका पर एक शर्त है आपको पूरी दस गालियाँ देनी हैं। यदि गाली कम हुईं तो आपके पापा को मुझे दस नोट देने पड़ेंगे।
पायल तकरीबन 15 साल की हो गयी थी और अब ऐसे तमाशों से असहज हो जाती थी
पायल और रीता दोनों ने एक साथ विरोध जताया : यह भी कोई गेम है ?
रंजय के चेहरे पर मिश्रित भाव उमड़े। उसे बात थोड़ी दिलचस्प लगी।
रंजय : जीत तुम मामा के साथ गेम खेलो , देखते हैं आज कौन जीतता है।
रीता : मैंने पहले ही कहा था आपको भी ऐसी बातों में मज़ा आता है।
शुभम : जीत बेटा शुरू हो जाओ।
जीत थोड़ी देर तक उलझन में इधर उधर देखता रहा फिर बोला: आप लोग मुझे मारेंगे तो नहीं ?
रंजय और शुभम दोनों ने उसे आश्वस्त किया कि ऐसा कुछ नहीं होगा।
जीत कुछ देर चुप रहा। कभी कभी पायल की तरफ देख लेता था। अचानक से उसने कहा : कुत्ता , कुतिया , कमीना कमीनी।
“अरे वाह जीत एक ही बार में गालियों का चौका,शुभम ने चहकते हुए कहा ” लगता है इस बार मामा को कंस मामा की तरह पछाड़ कर ही मानोगे, अच्छा ये बताओ ये गालियां सीखी कहां से ?
” ये चार नहीं तीन ही गालियां हैं , यह तो सब लड़के लड़कियां देते हैं , खेलते हैं तब भी और जब लड़ाई होती है तब भी !
शुभम : चलो अब अगला राउंड।
जीत फिर कुछ देर उहापोह में बैठा रहा। फिर धीरे से बोला : नालायक , बुद्धू।
शुभम : ये कौन देता है ?
जीत पायल की तरफ देखता है और कहता है : ये टीचर मैम तब देती हैं जब कोई बच्चा होमवर्क नहीं करके आता। और ये गाली देते वक्त वे सावधान रहतीं हैं कि प्रिंसिपल मैम न सुन लें।आपको विश्वास न हो तो दीदी से पूछ लो।
अचानक अपना नाम आने से पायल हड़बड़ा सी गयी। वह बोली उसे इस गेम में कोई दिलचस्पी नहीं और वह बेडरूम में चली गयी।
शुभम ने रंजय , रीता की तरफ देखा और कहा : जीत आगे ?
जीत काफी समय तक ख़ामोश बैठा रहा। वह आगे कुछ नहीं बोला रंजय ने उससे कहा : डरो मत बताओ और आती है या नहीं ?
जीत ने रीता की तरफ देखते हुए कहा: आती है पर मैं बताऊंगा तो मम्मी नाराज़ हो जाएंगी।
रीता सकपका गयी : मैं कब गाली देती हूं ?
गीत मुस्कुराते हुए : आप तो सबसे प्यारी गालियां देती हो , खुश होती हो तब भी वही गाली , नाराज़ होती हो तब भी वही गाली !
रंजय और शुभम रीता की तरफ प्रसन्न वाचक दृष्टि से देखने लगे।
रीता कुछ कहती उसके पहले ही जीत बोल पड़ा : हरामी और दुष्ट , ये दोनों , प्यार में भी , गुस्से में भी।
रीता : ये तो आम बोलचाल की भाषा है।
रंजय ने हंसते हुए कहा : धर्मपत्नी जी हमने इसे आम बना लिया है वरना दोनों शब्द गाली की श्रेणी में ही आते हैं।
शुभम : जीत बेटा गेम को आगे लेकर चलते हैं। अभी तक तुम्हारे हिसाब से तुमने सात गालियां दी हैं। तीन अभी भी बाकी हैं।
शुभम ने बात खत्म की ही थी कि जीत बोल पड़ा: एक गाली तो आपके मुंह में हरदम रहती है। जब भी आप फोन पर बात करते हो वो गाली बकते रहते हो।
अब हैरान होने की बारी शुभम की थी : कौन सी गाली हरदम मेरे जुबान पर रहती है ?
जीत : वही , अरे वो चूतिया स्साला है , उसकी बात पर क्या ध्यान देना।
रंजय की हंसी छूट गयी: क्यों साले साहब गेम कैसा चल रहा है। मज़ा आ रहा है या नहीं ? कहो तो अब इसे बंद कर दें।
शुभम : नहीं जीजू , आठ तो हो चुकीं। अब बाकी की दो हो ही जाने दीजिये। जीत तुम जीत से बस दो कदम दूर हो , बस दो और चाहिए।
जीत था तो बच्चा ही। अपने परिवेश में जो मिलता था उसे ग्रहण करता था। रंजय उसके साथ ज्यादा समय बिताते थे तो उनसे डरता भी कम था। उसने रंजय की तरफ देखते हुए कहा : एक गाली तो मेरे पापा भी देते हैं।जब कंपनी में किसी से बात करते हैं।
शुभम ने तुरंत पूछा : कौन सी, बेटा कौन सी ?
जीत : MC, BC।
शुभम : पर यह गाली है तुम्हे कैसे पता , और इसका मतलब जानते हो ?
जीत : मतलब तो नहीं जानता पर ये एक गाली है जरूर है।
रंजय , रीता , शुभम जीत की तरफ अपलक देखते ही रह गए। जीत जीत की तरफ बढ़ते कदमों में मस्त था। उसने उन लोगों की तरफ ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया।
रीता बोली: अब बस भी करो। इस खेल को यहीं खत्म करते हैं।
रंजय ने कहा : अब सिर्फ एक गाली की बात है।यह कोई गेम नहीं एक आईना है जिसमें हमें अपना चेहरा दिख रहा है। इसे खत्म होने दो। देखें तो अगली गाली किसका चेहरा दिखाती है। जीत बस एक गाली और ये सारे रुपये तुम्हारे। क्या कहते हो ?
जीत : पापा बस इतनी ही गालियां आती हैं। अब आगे नहीं आतीं।
कमरे में उपस्थित हर व्यक्ति को पता था कि दस गालियां तो कभी की पूरी हो चुकी थीं। पर रंजय जानना चाहते थे कि जीत को क्या और कुछ गालियां मालूम हैं।रंजय ने गीत से कहा : बस एक गाली की तो बात है। कोशिश करो।
जीत बहुत देर तक चुपचाप बैठा रहा। वह भरसक प्रयास कर गाली याद कर रहा था पर उसे कुछ याद ही नहीं आ रहा था। काफी देर तक परेशान रहने के बाद उसके चेहरे पर चमक सी आयी लेकिन अगले ही पल उसका स्थान भय ने ले लिया। रंजय तुरन्त भांप गए।उन्होंने जीत को प्रोत्साहित किया : बोल दो , मुझे पता है तुम्हे कुछ याद आया है।
जीत ने असमंजस में कहा : रहने दो , मुझे पैसे नहीं चाहिए, आप लोग मुझे मारेंगे।
इस बार रीता ने उसे भरोसा दिलाया कि उसे कोई कुछ नहीं कहेगा , क्योंकि वह जानती थी कि जीत उसके डर के कारण ही आगे नहीं बोल रहा है।
फिर भी जीत ने हिचकिचाहट के साथ ही कहा: घोसडी वाले।
यह गाली सुनते ही कमरे में जैसे सबको सांप सूंघ गया। कुछ देर तक तो किसी की समझ में ही नहीं आया कि क्या प्रतिक्रिया दे।
आखिरकार शुभम ने जीत से पूछा : यह गाली कहाँ सुनी और यह तुम्हें कैसे मालूम की यह कोई गाली है ?
अब तक जीत की समझ में आ गया था कि उसने कोई बड़ी गलती कर दी है। पर बड़ी गलती इन बड़े लोगों के कहने पर ही तो की है। यह बड़े लोग बहुत खराब होते हैं। ख़ुद वही काम करने को कहते हैं और फिर बाद में गुस्सा होते हैं।
उसने रुंआसा होकर कहा : पिछली बार जब गांव गए थे तब चाचू का झगड़ा हुआ था तब वे बार बार यही वाली गाली दे रहे थे। औऱ आप लोग मुझपर गुस्सा क्यों हो रहे हैं , जब कोई किसी को गाली देता है तो गाली समझ में न आये पर वह गाली ही बक रहा है पता चलता है।
रीता के सब्र का बांध ढह गया : छह साल के हुए नहीं और बातें बड़ी बड़ी , पढाई लिखाई में मन नहीं लगता , पर गाली समझ में आये न आये पर गाली है ये समझ में आ जाता है। ठहर तुझे गाली और गाली का मतलब अच्छे से समझाती हूँ।
रंजय ने रीता की कलाई पकड़ कर उसे रोक दिया। पर इस सब घटना चक्र से जीत बहुत आहत हो गया। वह तीनों की तरफ कुछ देर तक रुआंसी और गुस्से वाली निगाहों से देखता रहा फिर जोर से चिल्लाया : तुम सब घोसडी वाले हो।
और भाग कर बेडरूम में चला गया।
पीछे तीनों देर तक चुपचाप बैठे सोचते रहे कि हमारे बच्चे हमसे क्या सीख रहे हैं ?
कुमारकलहँस।

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