घूंट कड़वा ही सही हमदम तेरे इश्क का,
घूंट कड़वा ही सही हमदम तेरे इश्क का,
ये तसव्वुर तो है प्यास बुझ जाती है।
तेरी रानाइयों से रूबरू होकर हमारी।
आग सूखे पत्तों सी जहन में लग जाती है।
तुझे बताएं क्या बतलाएं हाल ए दिल दिलबर।
अगर जो छू लूं , तमन्ना टूटकर बिखर जाती है।
श्याम सांवरा.….