“घूंघट नारी की आजादी पर वह पहरा है जिसमे पुरुष खुद को सहज मह
“घूंघट नारी की आजादी पर वह पहरा है जिसमे पुरुष खुद को सहज महसूस करता है”
शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”
“घूंघट नारी की आजादी पर वह पहरा है जिसमे पुरुष खुद को सहज महसूस करता है”
शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”