घूँघट हटा के देखो
शिकवा,शिकायतों को दिल से मिटा के देखो
दरवाजे पर खड़े हैं घूँघट हटा के देखो
तुम पर टिकी हुई है बुनियाद जिंदगी की
हम मुस्कुरा पड़ेंगे तुम खिलखिला के देखो
डूबी है रूह मेरी यादों के अंजुमन में
दिल फिर धड़क उठेगा दिल से लगा के देखो
पाने की ख्वाहिशें ये बरबाद कर न डालें
खोने का इक हुनर भी खुद में जगा के देखो
हों हम कहीं भी लेकिन हैं पास ही तुम्हारे
आ जायेंगे यकीनन दिल से बुला के देखो
मिट जायेगा अँधेरा मन के वहम का संजय
इक बार चाहतों का दीपक जला के देखो