घूँघट (घनाक्षरी)
घूँघट (घनाक्षरी)
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दुल्हन वेशधारी प्रिय की प्रतीक्षारत
घूँघट से सिर ढके भारतीय नारी है
सजी-सँवरी है बैठी सिकुड़ी है गठरी -सी
नाक में सुशोभित हो रही नथ भारी है
मुख चंद्रमा की भाँति जगमगा रहा तीव्र
हृदय का उतार-चढ़ाव अति जारी है
रोम रोम कह रहा प्रिय न लगाओ देरी
शर्म की मारी चुप लेकिन बेचारी है
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइलः9997615451