घूँघट की आड़
घूँघट की आड़ बड़ी प्यारी थी
घूँघट की ओट बहुत न्यारी थी
घूँघट की आड़……………….
ये घूँघट ही नारी का श्रंगार था
घूँघट में रहना ही सदाचार था
घूँघट की आड़………………
इस घूँघट में नारी शहनाज़ थी
ये घूँघट ही नारी की लाज़ थी
घूँघट की आड़………………
घूँघट में बुजूर्गों का सम्मान था
घूँघट ही नारी की पहचान था
घूँघट की आड़………………
घूँघट में पिया के घर जाती थी
अपने पिया से लज़ा जाती थी
घूँघट की आड़……………….
घूँघट ‘विनोद’ एक कायदा था
आज कहें ये सब बेफायदा था
घूँघट की आड़……………….
घूँघट की ओट………………..