चांद कहानी
पूनम की वह रात सुहानी
बना शशि था तब अभिमानी
बोला मेरी चाँदनी शीतल
जब जाती है यह भूतल
सारा जग है जगमग होता
मेरे होते काम ना सोता
मैं रति का भूषण करता
कवियों का मैं आनंद कर्ता।
मैंने बोला सुन अभिमानी
तेरी बात यह मैंने मानी
सारे जग को शीतल करता
अंधकार को तू है हरता
माना कोई न तेरा बैरागी
पर तेरी चमक न तेरी होगी
तू चमके क्या ये चमक है तेरी
सूर्य बिना क्या बिसात है तेरी?
©अभिषेक पाण्डेय अभि