घुतिवान- ए- मनुज
किसी भी नर, मनुजों को
उत्तम, अधम कार्य से ही
उनको मिलती है पहचान
यथार्थ के पंथ पर चल के
श्रेष्ठ कार्यों से बनाए द्योतक
तब भव में होगी घुतिवानता ।
किसी को इस खलक में
चमकने के लिए उनको
करना पड़ेगा श्रम, तपस्या
अथक श्रम से अनाचार ही
बुद्धिमत्ता पूर्वक करे कार्य
तब घुतिवान होगी ये जगत ।
ऐसे ही न घुति होती कोई
इस अनूठा भुवन में कोय
उससे लिए सतत परिश्रम
करता पड़ता है इस जग में
हर एक घुतिवान मनुजों के
पार्श्व होती लाखों, हजारों गुण।
घुतिवान मनुषों की पहचान
अलग ही होती इस भव में
उनका प्रभाव होता अनोखा
होती है इस भव्य संसार में
घुतिवान बनने के लिए हमें
सदा श्रम की पड़ती अपेक्षित ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार