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8 Apr 2022 · 1 min read

*घुटने बदले दादी जी के (बाल कविता)*

घुटने बदले दादी जी के (बाल कविता)
*******************************
घुटनों में था दर्द हमेशा
दादी जी के रहता ,
नए बदलवालें घुटने
हर कोई उनसे कहता ।

एक दिवस दादी जी घुटने
नए बदलकर लाईं,
फटफट जीना ऊपर चढ़तीं
हमने देखा आईं ।

दादी बोलीं “अब मैं मीलों
पैदल रोज चलुँगी,
दर्द- निवारक मरहम अब
घुटनों पर नहीं मलुँगी ।
******************************
रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451

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