*घुटने बदले दादी जी के (बाल कविता)*
घुटने बदले दादी जी के (बाल कविता)
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घुटनों में था दर्द हमेशा
दादी जी के रहता ,
नए बदलवालें घुटने
हर कोई उनसे कहता ।
एक दिवस दादी जी घुटने
नए बदलकर लाईं,
फटफट जीना ऊपर चढ़तीं
हमने देखा आईं ।
दादी बोलीं “अब मैं मीलों
पैदल रोज चलुँगी,
दर्द- निवारक मरहम अब
घुटनों पर नहीं मलुँगी ।
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451