घुघंटा उठाके,नैना मिलाके
घुघंटा उठाके,नैना मिलाके
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घुघंटा उठाके,नैना मिलाके,
बिंदियां लगाके कहीं जइयों ना।
सांसों में बसा है तू मेरे,
जीयूं कैसे बिन तेरे।
निंदियां मेरी उड़ाके,
सपने मुझे दिखाके,
अब कही जइयो ना।
घुघंटा उठाके,,,,,
दिल के मंदिर में तू है मेरे,
दर्शन करती हूं सांझ सबेरे।
प्यार का दीप जलाके,
मुझे तू अपना बनाके,
अब कहीं जइयो ना।
घुघंटा उठाके,,,,
दिल के दरवाजे खुले है मेरे,
समाजा दिल में अब तू मेरे,
पैरो की आहट जब तेरी होगी,
तेरे खैरमकदम में मै खुद होगी,
समाकर दिल में कहीं जइयो ना।
घुघंटा उठाके,,,,,,,,
अब मन भी तेरा,तन भी तेरा,
अब बचा नही कुछ भी मेरा,
रास रचाके, होश उड़ाके,
मुझे तड़फा के,निंदिया उड़ाके,
अब कही तू जइयो ना।
घुघंटा उठाके,,,,,
लबों में निसां है अब तेरे,
मिटेंगे न ये कभी भी तेरे,
फड़फड़ा रहे ये लब मेरे,
चूम लो ये लब तुम मेरे,
चूम कर कही तुम जइयो ना।
घुघंटा उठाके,,,,,,,
आर के रस्तोगी गुरुग्राम