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3 Sep 2022 · 1 min read

“घास वाला टिब्बा”

“घास वाला टिब्बा”
वीर हनुमान के पहाड़ पर बैठकर
नीचे का अद्भुत नजारा देख रहे थे
इंदु दीदी के सात्विक प्रवचन सहसा
कानों को शीतलता प्रदान कर रहे थे,
ऊबड़ खाबड़ रास्तों से की पहाड़ चढ़ाई
तलहटी पर बंदरों को केला खिलाया था
धूप संग फैली हल्की बदरा की लालिमा
नृत्य करने को मयूरा आतुर हो रहा था,
यकायक ही हर्षमुद्रित हो चले थे नयन
सामने घास वाला टिब्बा दिख रहा था
रंग बिरंगे अद्भुत पक्षियों की चहचाहट
अंबर नीले ने भी मूक कहर बरसाया था,
एक पत्थर पर मीनू भी बैठी थी अकेली
शायद विरानियों में कुछ महसूस हुआ था
सफ़ेद माटी से निकला घास का तिनका
पूनिया को दूरस्थ टिब्बा बहुत सुहाया था।

Language: Hindi
1 Like · 217 Views
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