घर
घर
कहते रहे सब
सुनती रही लड़कियाँ
ये पिता का घर
ये पति का घर
ये बेटे का घर,
नहीं दिखा कभी
उन्हें किसी माँ का घर
किसी पत्नी का घर
किसी बहू का घर
किसी बेटी का घर,
पर अब
नहीं रहा लड़कियों के लिए
अनजाना स्कूल और पढ़ाई,
खेल का मैदान/व्यवसाय,
कौन सा ऐसा क्षेत्र
जहाँ कर्मरत नहीं डटी हैं लड़कियाँ!
हवा ने अब
बदल लिया है रूख
अब लड़कियाँ
पढ़ती हैं/कमाती हैं
सपने पूरे कर
परचम फहराती है
अपना घर भी खरीदती है
और गर्व से कहती है
यह मेरा घर है।
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#डॉभारतीवर्माबौड़ाई