घर
शहर की शोर-शराबा से दूर
गांव में कितना आराम है
घर तो गांव में होता है
शहर में तो मकान है
सुशील चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार
शहर की शोर-शराबा से दूर
गांव में कितना आराम है
घर तो गांव में होता है
शहर में तो मकान है
सुशील चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार