घर परिवार पड़ाव – बहाव में ठहराव
“घर परिवार पड़ाव – बहाव में ठहराव ”
अद्भुत है यह अनुभव, कैसे, बदलते रहते हैं परिप्रेक्ष्य
व्यक्तिमत्व जुड़ते गए जग में, एक बड़ा परिवार मिला
समक्ष होकर भी न होना अपरोक्ष होकर भी संग रहना
संबंधों के भवसागर में अपनत्व ममत्व अपरंपार मिला
जीवन भर, जिजिविषा रही, जिज्ञासा रही, पथिक रहे
पथ रहे, गति रही गंतव्य रहे, यात्राओं का अंबार मिला
जिस घर को, खोजा किए रहे थे, हम समस्त संसार में
अन्ततः, उसी घर में, आ कर, हमें, हमारा संसार मिला
~ नितिन जोधपुरी “छीण”