घर घर में अब विभिषण सारे लोग हो गए
घर घर में अब विभिषण सारे लोग हो गए
*******************************
मर्यादा पुरुषोत्तम राम जग से लोप हो गए
घर घर में अब विभीषण सारे लोग हो गए
राजा दशरथ जैसे पिता जग में रहे कहाँ
राम लक्ष्मण जैसे पुत्ररत्न अब लोप हो रहे
घर घर में कैकेयी मंथरा जैसे चरित्र हैं यहाँ
अब पत्नी वचन पति के लिए ठोस हो गए
चारों वेदों का ज्ञानी रावण था स्त्री सत्कारी
कलयुगी रावण स्त्रियों के लिए मौत हो गए
भरत शत्रुघन जैसे आज्ञाकारी भाई रहे नहीं
भाई भाई के भाईचारे के संबंध लोप हो रहे
सीता जैसी प्रेम,समर्पण,सतीत्व,आर्यता नहीं
पति-पत्नी के भी संबंध में भी विरोध हो रहे
शांति,संतुष्टि,संस्कार हेतु रामायण विसारिए
सुखविंद्र संस्कारी चरित्र जग से लोप हो रहे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)