घर घर तिरंगा फहराना है
…….. मुक्तक
आजादी का अमृत महोत्सव मनाना है
हमको घर घर जाकर तिरंगा फहराना है
छूट ना जाए कोई भी घर देखो “सागर”
वीर शहीदों का मिलकर के गीत सुनाना है
…….. गीत…..
घर -घर तिरंगा
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चलो तिरंगा मिलकर बांटे गली -गली
आजादी का बिगुल बजा दो गली -गली
चलो तिरंगा………
घर -घर मिलकर आओ तिरंगा पहुंचा दे
हर घर की मुंडेर पर जाकर फहरा दे
आजादी की वर्ष गांठ पर अब के तो
इंकलाब की बातें घर-घर- चली- चली
चलो तिरंगा………
राजा जी फरमान ये अच्छा हमे लगा
देशभक्ति से गाँव -शहर अपना सजा
वीर शहीदों की कुरबानी कहती है
सांसे इसके लिए ही अपनी लडी- लडी
चलो तिरंगा………..
भारत माँ को नमन करे जय कार करे
इंकलाब का मिलकर हम उदघोष करे
वन्दे मातरम् संग “सागर” कह दो सबसे
रंग दो तिरंगे से तुम अपनी गली -गली
चलो तिरंगा मिलकर बांटे गली- गली
आजादी का बिगुल बजा दो गली- गली
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जनकवि /बेखौफ शायर
डॉ. नरेश “सागर”
मुरादपुर, सागर कालोनी, गढ़ रोड़, नवीन मंडी, जिला, हापुड़, उत्तर प्रदेश
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज
9149087291