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6 Apr 2020 · 1 min read

घरवाली बाहरवाली

*****घरवाली बाहरवाली******
**************************

आजादी में बंधन,बंधन में आजादी
प्रेमिका से प्रेम करें, पत्नी से शादी

पत्नी और प्रेमिका में अन्तर इतना
जायज और नाजायज में है जितना

सोच कभी कहीं पर मिलती नहीं है
रेल पटरी जैसे कभी मिलती नहीं है

पत्नी के रिश्ते का नाम है कुरबानी
सौतन,प्रेमिका होती हैं कारशैतानी

प्रेमी प्रेमिका को पलको पर बैठाए
पति बन जाए तो दिन रात सताए

घर की मुर्गी दाल बराबर होती ऐसे
बाहर की दाल करारी होतीं है जैसे

घर की सरकार पूर्ण समर्थन भरी
बाहरी सरकार गठबन्धन से जड़ी

घर में पत्नी के आगे चलती नही
प्रेमिका की पीड़ा कभी हरती नही

घरवाली का रुतबा है सम्मान भरा
बाहरवाली का रुतबा अपमान भरा

रिश्ता सचमुच होते है बड़े नाजुक
अविश्वसनीय हैं तो जैसे हो चाबुक

सुखविन्द्र कहता दिल से निभाओ
घर को स्वर्ग तुल्य सुन्दर बनाओ
***************************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 907 Views
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