घरवार लुटा है मेरा
इस इश्क ने ऐसा मारा दिल हार चुका है मेरा
जब जब तुमको चाहा, दिल हर बार दुखा है मेरा
अब तुम नहीं समझोगी, तुम्हारा तो घर बसा है
मैं कैसे समझाऊं, घरवार लुटा है मेरा
– ललित
इस इश्क ने ऐसा मारा दिल हार चुका है मेरा
जब जब तुमको चाहा, दिल हर बार दुखा है मेरा
अब तुम नहीं समझोगी, तुम्हारा तो घर बसा है
मैं कैसे समझाऊं, घरवार लुटा है मेरा
– ललित