” घरक शोभा ..हमर आँगन “
डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
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शहर बनि गेल ,
अट्टालिका मे
हम रहऽ लगलहूँ
घरक शोभा ‘आँगन ‘
लुप्त भऽ गेल !
पावनि तिहार
चोडचन पूजा
सब शयनकक्ष
मे सनिहा गेल !!
कतऽ हैत
गीत -नाद ?
कतऽ हैत
परिक्षण ?
केना हैत
शोभा
कतऽ हैत
अरिपण ?
पायलक
रुनझुन
गीत -नाद ,
नाच गान
आँगन मे
होइत छल !
आब हम
आँगन बिसरि
गेलहुं’
तिहार मे
कैद भेलहूँ !!
आँगनक
लहक -चहक
कतो-कतो
भेटि जायत !
बच्चा सबकें
यदा -कदा
दर्शन आब
करायल जायत !!
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डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
शिव पहाड़
दुमका
झारखण्ड