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15 Jun 2020 · 1 min read

घमण्ड

फूले मनुज घमण्ड में,
पावे नहीं प्रसार।
नेकी के पाखण्ड में,
रहे सदा बीमार।

रहे सदा बीमार,
रोग दूजों में झाँके।
कर न सके उपचार,
स्वयं को बेहतर आँके।

कह संजय कविराय,
हैसियत अपनी भूले।
सीमाएं बिसराय,
व्यर्थ में मानुस फूले।

संजय नारायण

8 Likes · 2 Comments · 419 Views
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