घमण्ड
फूले मनुज घमण्ड में,
पावे नहीं प्रसार।
नेकी के पाखण्ड में,
रहे सदा बीमार।
रहे सदा बीमार,
रोग दूजों में झाँके।
कर न सके उपचार,
स्वयं को बेहतर आँके।
कह संजय कविराय,
हैसियत अपनी भूले।
सीमाएं बिसराय,
व्यर्थ में मानुस फूले।
संजय नारायण
फूले मनुज घमण्ड में,
पावे नहीं प्रसार।
नेकी के पाखण्ड में,
रहे सदा बीमार।
रहे सदा बीमार,
रोग दूजों में झाँके।
कर न सके उपचार,
स्वयं को बेहतर आँके।
कह संजय कविराय,
हैसियत अपनी भूले।
सीमाएं बिसराय,
व्यर्थ में मानुस फूले।
संजय नारायण