घबराहट
क्यों अक्सर मुश्किलों से घबरा जाती हूं,
क्यों आगे बढने से रूक जाती हूं।। क्यों भीड़ को देखकर मैं डर जाती हूं,
क्यों अपने आप को मैं रोक पाती हूं।। क्यों ऐसे लगता हैं जिंदगी कहीं रूक सी गई हैं,
रोशनी अंधेरों मे कहीं गुम सी गई हैं।। कोई तो आए जो निकाले मुझे इन अंधेरों से,
दे हिम्मत मुझे लड़ने की इस दुनियाकेझपेडो़से।।। कोई तो समझाए मुझे मुश्किलों का नाम हैं जिंदगी,
मुश्किलों से घबराना नहीं ये पैगाम हैं जिंदगी।।
कृति भाटिया, बटाला।