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16 Jun 2023 · 1 min read

घने सन्नाटे में

घने सन्नाटे में

घने सन्नाटे में एक मुद्दा उछलना चाहिये ।
मुतमइन सैलाव में हलचल मचलना चाहिये ।।

खुदकुशी और भूख के सब आंकड़ों को देखकर ।
बजीरे आजम को मन की बात कहना चाहिये ||

वजन जूतों का मुसल सल बड़ रहा है रात दिन ।
सब्र की हद हो चुकी चीखें निकलना चाहिये ।।

चाकुओं को सियासत के सामने कर दीजिये ।
चाकुओं से खुदकुशी का चलन रूकना चाहिये ।।

अंकुशों की धार को कुछ तेज भी करते रहो ।
बोखलाये हाथियों की मद उतरना चाहिये ।।

कद बहुत छोटा मगर ख्वाहिश हद तो देखिये ।
उनकी परछाई से पूरी बज्म ढ़कना चाहिये ।।

Language: Hindi
1 Like · 75 Views
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