सिंहावलोकन घनाक्षरी
किसी भी छंद को सिंहावलोकन का रूप दिया जा सकता है। जब हम छंद के प्रथम चरणांत में प्रयुक्त शब्द को दूसरे चरण के प्रथम शब्द के रूप में, द्वितीय चरणांत के शब्द को तृतीय चरण के पहले शब्द के रूप में और तृतीय चरणांत के शब्द को चतुर्थ चरण के पहले शब्द के रूप में प्रयोग करते हुए चतुर्थ चरण के अंत का शब्द ठीक वही प्रयोग करते हैं जो प्रथम चरण का प्रथम शब्द होता है ,तो वह छंद सिंहावलोकन बन जाता है।
उदाहरण-
जाओगे भाग रण से,याद करो भूतकाल,
राह भी मिलेगी नहीं,फिर पछताओगे।
पछताओगे यों बैठ,अपने कुकर्म पर,
कर सीमा पार जब, भारत में आओगे।
आओगे तो छुपकर,पर हम ढूँढ लेंगे,
काट देंगे बोटी बोटी, बच नहीं पाओगे।
पाओगे मार काट से,जन्नत की हूर कैसे,
मरोगे तो सीधे बस ,नरक ही जाओगे।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय