घनाक्षरी
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घनाक्षरी
मन में उमंग रख, तन में तरंग रख
सोच, सोच हर पल, कैसे आगे बढ़ना
राम सा चरित रख, कृष्ण सा फलित रख
सीख जा रे सीख जा, दुख में भी हँसना
नदिया पखारे पाँव, छम छम चले गांव
सूरज सा तेज रख, पल पल चमकना
आगे-पीछे है जी कौन, तेरे पीछे जग गौण
भोर-भोर कह रही, तुझे यूँ सँवरना।।
सूर्यकांत