घनाक्षरी
…..आरक्षण….
करें क्या जतन कैसे
मुक्त हों आरक्षण से
मेधावी के सपनों का सुन्दर संसार हो।
मेधावी को मान मिले
उचित स्थान मिले
चहुंओर योज्ञता का उचित सम्मान हो।
जात पात , ऊंचा नीचा
वर्ग भेद मिट जाय
क्षमता के जैसा ही उसका स्थान हो।
“सचिन” सुख सार यही
उन्नति का आधार यहीं
मेधा बीना कैसे किसी राष्ट्र का विकास हो?
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”