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26 Aug 2021 · 1 min read

घनाक्षरी

माई पुचुकारऽ तारी, माइये दुलारऽ तारी,
हँसी-हँसी कहें बेटा, आ हमरी ओरिया।
बेटवा के दुखवा ना, माई के सहाला कबो,
माइयो के भरि जाला, अँखिया के कोरिया।
माई वाला ममता के, मोल नाहीं होला भाई,
अँचरा से पोंछे माई, बबुआ के लोरिया।
माइए परान हई, माई भगवान हई,
बेटा खातिर माई हई, सूर्य के अंजोरिया।

चैन नाहीं पड़े कतो, जियरा बेचैन रहे,
तहरी बिना ई देखऽ, सहे नी सँसतिया।
कवना नगरिया में, गइलू हऽ छोड़ि मोहे,
बिरहऽ जुदाई वाला, गावऽ तानी गीतिया।
प्रेम करे वाला रोवे, हृदय में शूल बोवे,
तड़पे ला प्रेमी सदा, कइसन रितिया।
दिल मिले जेकरा से, जेकरा से प्रित होला,
दूर चलि जाला उहे, हाय रे पिरितिया।

(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464

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