घनाक्षरी–माँ शारदे वंदना
दिये भाव दिये शब्द और दिये भी हैं स्वर,
कृपा ऐसी ही रखना बनाये माँ शारदे।
मुझसे हो सेवा देश व समाज हरदम,
मुझे याद कभी स्वार्थ न आये माँ शारदे।
अज्ञानी भी ज्ञानी बने सबका हो तम दूर,
वो प्रकाश उर हर समाये माँ शारदे।
हाथ जोड विनती है आपसे ये बोल जय,
आशीर्वाद हर जन पा जाये माँ शारदे।।
–अशोक छाबडा, गुरूग्राम।