घनाक्षरी छंद
रिद्धि सिद्धि दायक हैं, कार्य सिद्ध नायक हैं,
जिनकी कृपा से भर, मिट जाते क्लेश हैं।
गौरा जी के लाल प्रिय, देव गणों के जो हिय,
कैलाशी देवाधिपति, पितृ श्री महेश है।
पूरित करें जो काज,पूज्यनीय गजराज,
मोहक भरे जो छटा, हर्षित सुरेश हैं।
मोदक भरे हाथों में,मूसे पर हो सवार,
शत शत है नमन, प्रिय श्री गणेश हैं।।
—- अरुण शर्मा बेधड़क
सीतापुर (उ०प्र०)