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25 Oct 2024 · 1 min read

घनघोर अंधेरी रातों में

घनघोर अंधेरी रातों में
कोई दिया जलाए तो जानूं।
बुझी शमा को परवाना बन
लहू बहाए तो जानूं।
अन्याय अधर्म की चौखट पर
है खड़ी सियासत भारत की
पर भारत मां के छलनी दिल से
घाव मिटाए तो जानूं।
~करन केसरा~

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