घनघोर अंधेरी रातों में
घनघोर अंधेरी रातों में
कोई दिया जलाए तो जानूं।
बुझी शमा को परवाना बन
लहू बहाए तो जानूं।
अन्याय अधर्म की चौखट पर
है खड़ी सियासत भारत की
पर भारत मां के छलनी दिल से
घाव मिटाए तो जानूं।
~करन केसरा~
घनघोर अंधेरी रातों में
कोई दिया जलाए तो जानूं।
बुझी शमा को परवाना बन
लहू बहाए तो जानूं।
अन्याय अधर्म की चौखट पर
है खड़ी सियासत भारत की
पर भारत मां के छलनी दिल से
घाव मिटाए तो जानूं।
~करन केसरा~