घनक्षरी वन्दना
धर ध्यान आपको पुकारता है दास देखो
करजोड़ करता प्रणाम मातु शारदे।
कीजिये विनाश रोग दोष का सदैव मातु
अंधकार को मिटा प्रकाश को उबार दे।
दास का हरो माँ त्रास बुद्धि का करो विकास
करदे कृपा सुमातु भाग्य को सँवार दे।
शुद्ध शब्द शिल्प भाव दीजिये सदैव और
उर में हमारे मातु काव्य को निखार दे।