!! घड़ी समर की !!
घड़ी समर की सामने
धरा को चुम वंद कर
तरेरते जो,नयन देख
पीट – पीट खण्ड कर
हार को भी जीत में
बदल-बदल अखण्ड कर
सौम्य पथ को छोड़ दे
तु अग्नि को प्रचण्ड कर
पवन की राह रोक ले
फिज़ा को तु उदण्ड कर
शक्तियों को साथ ले
न ख़ुद पर तु घमंड कर
काल के कपाल चढ़
शत्रुओं को खण्ड-खण्ड कर
माँ भारती को आहुति दे
“चुन्नू” कोटि-कोटि वंद कर
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)