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9 Jul 2022 · 1 min read

घड़ी और समय

टिक्-टिक्-टिक्-टिक् !
हर पल तो चलती रहती है,
एक से गिनती शुरू करती है,
बारह तक ही पढ़ती है,
गोल-गोल घूम-घूम कर,
घड़ी के चक्कर को पूरी करती है,
सुबह दोपहर और शाम कराती,
रात पहर निद्रा को बुलाती,
सेकंड मिनट और घंटों बिताती ।

टिक्-टिक्-टिक्-टिक्!
चलती ही जाती है,
हर पल का समय बताती,
घड़ी समय से अवगत् कराती,
जीवन क्षण का महत्त्व बताती,
समय सदा होता है अनमोल,
घड़ी और समय का महत्त्व विशेष,
हर मनुष्य को पाठ पढ़ाती,
वर्तमान में जीना सिखलाती ।

रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर ।

5 Likes · 2 Comments · 554 Views
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