Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Sep 2019 · 3 min read

‘घड़ा पाप का भर रहा’ एक विलक्षण तेवर-शतक

कविता में ‘तेवरी प्रयोग’ साहित्य के लिए एक सुखद अनुभव
*विश्वप्रताप भारती
———————————————————————————–
श्री रमेशराज छंदबद्ध कविता के सशक्त हस्ताक्षर हैं। ‘तेवरी लेखन’ एवं ‘विचार को लेकर रस की निष्पत्ति पर वैचारिक विवेचन’ में उनकी एक अलग पहचान है। रमेशराज ने ग़ज़ल विधा में नये-नये तेवरों को ग़ज़ल न कहकर तेवरी बताकर हिन्दी साहित्य में विधागत विमर्श को आगे बढ़ाया है। तेवरी विधा को पहचान और स्थापन दिलाने के लिए तेवरीपक्ष का संपादन-प्रकाशन किया, जिससे वे लगातार जूझते रहे। हिन्दी की प्रगतिशील-जनवादी कविता में जिला अलीगढ़ से बहुत नाम आते हैं, उनमें रमेशराज शीर्षस्थ हैं। ये कहना गलत न होगा कि आलोचकों ने उनकी पुस्तकें तो पढ़ी लेकिन उनका नाम लेने से, उनकी चर्चा करने से कतराते रहे। चूंकि तेवरी पर आलोचक चुप्पी साधे रहे। कुछ आलोचकों ने तो तेवरी लिखने वालों को तेवरबाज तक कह डाला।
रमेशजी अपनी लम्बी तेवरी पुस्तक- ‘घड़ा पाप का भरा’ [तेवर शतक] के माध्यम से एक बार फिर चर्चा में है। उनकी तेवरियों को पढ़कर हर एक व्यक्ति ये महसूस कर सकता है, ‘अरे ये तो हमारे मन की बात कह दी।’ शायद लेखक के लिखने की यही सफलता है।
सामान्यतः कविता दूसरों को कुछ बताने के लिए लिखी जाती है जो मानवीयता के पक्ष की मुखर आवाज बनती है। मानवीयता के स्तर पर कविता में जो भाव आते हैं, वे अद्भुत होते हैं। रमेशजी की कविता [तेवरी] में ये भाव एक बड़ी सीमा तक विद्यमान हैं-
‘‘ ‘तेरे भीतर आग है- लड़ने के संकेत
बन्धु किसी पापी के सम्मुख, तीखेपन की मौत न हो।’
जन-जन की पीड़ा हरे, जो दे धवल प्रकाश
जो लाता सबको खुशहाली, उस चिन्तन की मौत न हो।’’
वस्तुतः आज आमआदमी की जिन्दगी इतनी बेबस और उदास हो गयी है कि वह समय के साथ से, जीवन के साथ से छूटता जा रही है। संवेदनाशून्य समाज की स्थिति कवि को सर्वाधिक पीडि़त करती है-
‘‘कायर ने कुछ सोचकर ली है भूल सुधार
डर पर पड़ते भारी अब इस संशोधन की मौत न हो।’’
समाज में जो परिवर्तन या घटनाएँ हो रही हैं, वे किसी एक विषय पर केन्द्रित नहीं हैं। घटनाओं के आकार बदले हैं, प्रकार बदले हैं। इन घटनाओं के माध्यम से नयी संस्कृति जन्म ले रही है तो कहीं लूट, हत्या, चोरी, बलात्कार, घोटाला, नेताओं का भृष्टाचार, सरकारी कर्मचारियों की रिश्वतखोरी, कानूनी दाँवपेंच का दुरुपयोग जैसी घटनाएँ सामने आ रही है-
‘‘लोकपाल का अस्त्र ले, जो उतरा मैदान
करो दुआएँ यारो ऐसे रघुनन्दन की मौत न हो।
नया जाँच आयोग भी जाँच करेगा खाक
ये भी क्या देगा गारण्टी ‘कालेधन की मौत न हो’।’’
कविता में भोगे हुए यथार्थ की लगातार चर्चा हुई है, लेकिन उसके चित्र तक। दलित लेखकों ने इस सीमा को तोड़ा है। दलित लेखकों ने अपने लेखन में जहाँ समस्याओं को दिखाया है तो वहीं उनका समाधान भी बताया है। रमेशजी दलित नहीं हैं। उनका जन्म विपन्न परिवार में हुआ, इसलिए दलितों के प्रति व्यक्तिगत तौर पर उनकी पीड़ा घनीभूत है। निःसंदेह आज दलितों ने निरन्तर प्रयास के बावजूद अपना जीवन-स्तर बदला है। अपने लिए अनंत संभावनाओं का आकाश तैयार कर लिया है परन्तु समाज में अभी भी कुछ ऐसा है जिससे लेखक आहत है-
पूँजीपति के हित यहाँ साध रही सरकार
निर्बल दलित भूख से पीडि़त अति निर्धन की मौत न हो।
लिया उसे पत्नी बना, जिसका पिता दबंग
सारी बस्ती आशंकित है अब हरिजन की मौत न हो।’’
कवि ने आजादी की लड़ाई के माध्यम से राजनीति के दोगलेपन पर तीखा प्रहार किया है-
झाँसी की रानी लिए जब निकली तलवार
कुछ पिट्ठू तब सोच रहे थे ‘प्रभु लंदन की मौत न हो’।
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचन्द्र के उपन्यास गोदान के युवा पात्र ‘गोबर’ के माध्यम से कवि ने करारी चोट की है। ऐसे गोबर आज हर जगह मिल जायेंगे जो समाज और देश के विकास के लिए चिन्तित हैं-
‘झिंगुरी’, दातादीन’ को जो अब रहा पछाड़
‘होरी’ के गुस्सैल बेटे ‘गोबरधन’ की मौत न हो।
हिन्दी साहित्य में नये-नये प्रयोग होते रहे हैं आगे भी होते रहेंगे। कविता में ‘तेवरी प्रयोग’ साहित्य के लिए एक सुखद अनुभव है जो सामाजिक सन्दर्भों से गुजरते हुए समसामयिक युगबोध तक ले जाता है। तेवरी अपना काम बखूबी कर रही है। तेवरीकार के शब्दों में-
‘‘इस कारण ही तेवरी लिखने बैठे आज
किसी आँख से बहें न आँसू, किसी सपन की मौत न हो।’’
स्पष्ट है, तेवरी नयी सोच, नयी रोशनी लेकर आई है। प्रस्तुत तेवरी शतक में सभी रचनाएँ आँखें खोलने वाली हैं। विलक्षण और अद्भुत। आशा है लेखक तेवरी विधा को स्वतंत्र विधा के रूप में अपनायेंगे, और बढ़ायेंगे।

-विश्वप्रताप भारती
बरला अलीगढ़ [उ.प्र.]

Language: Hindi
Tag: लेख
475 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तू तो सब समझता है ऐ मेरे मौला
तू तो सब समझता है ऐ मेरे मौला
SHAMA PARVEEN
ہر طرف رنج ہے، آلام ہے، تنہائی ہے
ہر طرف رنج ہے، آلام ہے، تنہائی ہے
अरशद रसूल बदायूंनी
तुम जलधर मैं मीन...
तुम जलधर मैं मीन...
डॉ.सीमा अग्रवाल
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
गर हो जाते कभी किसी घटना के शिकार,
गर हो जाते कभी किसी घटना के शिकार,
Ajit Kumar "Karn"
#हर_घर_तिरंगा @हर_घर_तिरंगा @अरविंद_भारद्वाज
#हर_घर_तिरंगा @हर_घर_तिरंगा @अरविंद_भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
किसी मोड़ पर अब रुकेंगे नहीं हम।
किसी मोड़ पर अब रुकेंगे नहीं हम।
surenderpal vaidya
कहा किसी ने आ मिलो तो वक्त ही नही मिला।।
कहा किसी ने आ मिलो तो वक्त ही नही मिला।।
पूर्वार्थ
4143.💐 *पूर्णिका* 💐
4143.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
“पेपर लीक”
“पेपर लीक”
Neeraj kumar Soni
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
खुश वही है जिंदगी में जिसे सही जीवन साथी मिला है क्योंकि हर
खुश वही है जिंदगी में जिसे सही जीवन साथी मिला है क्योंकि हर
Ranjeet kumar patre
काश कही ऐसा होता
काश कही ऐसा होता
Swami Ganganiya
*जानो होता है टिकट, राजनीति का सार (कुंडलिया)*
*जानो होता है टिकट, राजनीति का सार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
प्रकृति हर पल आपको एक नई सीख दे रही है और आपकी कमियों और खूब
प्रकृति हर पल आपको एक नई सीख दे रही है और आपकी कमियों और खूब
Rj Anand Prajapati
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
चलो कुछ नया करते हैं
चलो कुछ नया करते हैं
AMRESH KUMAR VERMA
ये जो उच्च पद के अधिकारी है,
ये जो उच्च पद के अधिकारी है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
श्याम बदरा
श्याम बदरा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
........,
........,
शेखर सिंह
మగువ ఓ మగువా నీకు లేదా ఓ చేరువ..
మగువ ఓ మగువా నీకు లేదా ఓ చేరువ..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
ਸ਼ਿਕਵੇ ਉਹ ਵੀ ਕਰਦਾ ਰਿਹਾ
ਸ਼ਿਕਵੇ ਉਹ ਵੀ ਕਰਦਾ ਰਿਹਾ
Surinder blackpen
मायने  लफ़्ज़  के  नहीं  कुछ भी ,
मायने लफ़्ज़ के नहीं कुछ भी ,
Dr fauzia Naseem shad
कोई हमारे लिए जब तक ही खास होता है
कोई हमारे लिए जब तक ही खास होता है
रुचि शर्मा
चाहत किसी को चाहने की है करते हैं सभी
चाहत किसी को चाहने की है करते हैं सभी
SUNIL kumar
राखी की सौगंध
राखी की सौगंध
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हृदय के राम
हृदय के राम
इंजी. संजय श्रीवास्तव
✍🏻 ■ रसमय दोहे...
✍🏻 ■ रसमय दोहे...
*प्रणय*
"वफादार"
Dr. Kishan tandon kranti
बहू और बेटी
बहू और बेटी
Mukesh Kumar Sonkar
Loading...