घटी नजदीकियाँ अब क्या करें हम
घटी नजदीकियाँ अब क्या करें हम
हुई मजबूरियाँ अब क्या करें हम
समझ में बात आई जब नहीं तो
पड़ी फिर लाठियाँ अब क्या करें हम
बचाना चाहते हैं ज़िन्दगी को
बड़ी दुश्वारियाँ अब क्या करें हम
किया हालात ने लाचार इतना
बढ़ी हैं दूरियाँ अब क्या करें हम
हुये हैं बन्द घर में ‘अर्चना’ सब
चली हैं आँधियाँ अब क्या करें हम
27-03-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद