घटित जब कुछ विचित्र कभी हो….
घटित जब कुछ विचित्र कभी हो….
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आज कुछ विचित्र सी बात हुई !
तत्क्षण, मैं काफ़ी डर गया था !
पर वो तो अच्छे के लिए ही हुई !!
हमें इस घटना से सबक सीखना है !
घटित जब कुछ विचित्र कभी हो….
फिर भी तब हम नहीं विचलित हों !!
क्या पता… इसी में हमारा भला हो !
ईश्वर ने हमारे लिए भी कुछ सोचा हो !
वक़्त तो किसी एक के लिए नहीं होता !
वो वक़्त… आज मेरे साथ ही खड़ा हो !!
अजीब कशमकश होती है ज़िंदगी में ,
कभी इस करवट, कभी उस करवट !
कौन सा करवट किसे फायदेमंद हो !
कौन सा सूत्र किस प्रमेय का हल हो !!
इसीलिए ‘अजित’ का आज ये मानना है !
कि बस, अपना कर्म निरंतर करते जाएं !
चाहे कुछ भी हो, ना कभी तनिक घबराएं !
ज़िंदगी तो अनिश्चितताओं भरी होती ही हैं !
अनिश्चितताओं में ही जीने की आदत बनाएं !!
जीवन के लंबे सफ़र में सबकी बारी आती है !
सन्मार्ग पर चलते हमारी भी बारी आएगी ही !
ज़िंदगी ने कभी रुलाया है तो कभी हॅंसाएगी ही !
सत्कर्म के रास्ते में विचित्र घटना घट जाएगी ही !!
ये घटना संभवतः सबका भला कर जाएगी ही !!
विचित्र घटना आनेवाले कल की दिशा बताती है!
नई दिशा में ही हम सब को चलना सिखाती है !
ऐसे ही परिवर्तन की चक्की आगे बढ़ती जाती है !
ज़िंदगी परिवर्तित अंदाज़ में अपना रंग दिखाती है !
इस तरह विचित्रता ही ज़िंदगी में परिवर्तन लाती है !
शायद, ये परिवर्तन हमारे भले के लिए ही आती है !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 09 सितंबर, 2021.
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