घटा न कण भर प्यार
प्रिय: वर्ष इकतीस वे,…..पूर्ण हुए हैं आज I
वैवाहिक विश्वास का, जब पहना था ताज II
हुए वर्ष इकतीस पर,लगती कल की बात I
लाया था अनजान को,…..लेकर फेरे सात II
मिले नेह के तार तो, बनी हमारी बात I
वर्ष हुए इकतीस अब ,लेकर फेरे सात II
अद्भुत है यह प्रेम का, बंधन बहुत अपार ।
हुए वर्ष इकतीस पर, घटा न कण भर प्यार।।
जोड़े हैं भगवान ने,……. ऐसे दिल के तार ।
दिन-दिन बढ़ता जा रहा, और हमारा प्यार।।
रमेश शर्मा