Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Oct 2021 · 1 min read

गज़ल_-वेद बदल जायगा‚तलवार टूट जायगी

वेद बदल जायगा‚तलवार टूट जायगी।
साहस के साथ दोस्तो पत्थर इसे दिखा।
धरती दरिद्रता नहीं सम्पन्नता का नाम।
आकाश को पानी के लिए आँखे जरा दिखा।
मजहब के सच को तार–तार कर रहे हैं जो।
मंत्रों के सच की उसे व्याख्या जरा सिखा।
रोके न आदमी के रूकेगा वन का पलायन।
भाग में पतन की कथा खुद ही है लिखा।
जंगल सिमट रहा है तो सागर बढ़ेगा ही।
मानव सभ्यता नष्ट होने अब बाँध ले शिखा।
पुस्तक से गायब हो रहा है शब्द‚वाक्य‚अर्थ।
आस्था‚श्रद्धा‚विश्वास व जीवन–परक शिक्षा।
आओ कि ह्रास होते युग को हेॐ रोक लें यहीं।
अथवा विद्रूप होगा कितना चेहरा ये इसे दिखा।
छेड़ना ही चाहिए अब यहाँ जंग जटिल जवान।
वक्त जीतने का है‚ छुद्र पीठ मत दिखा।
—————————————————————–

1 Comment · 164 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
Anand Kumar
तुम ने हम को जितने  भी  गम दिये।
तुम ने हम को जितने भी गम दिये।
Surinder blackpen
अगर दुनिया में लाये हो तो कुछ अरमान भी देना।
अगर दुनिया में लाये हो तो कुछ अरमान भी देना।
Rajendra Kushwaha
"नवरात्रि पर्व"
Pushpraj Anant
*आते हैं बादल घने, घिर-घिर आती रात (कुंडलिया)*
*आते हैं बादल घने, घिर-घिर आती रात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हर शख्स माहिर है.
हर शख्स माहिर है.
Radhakishan R. Mundhra
मनोरमा
मनोरमा
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
बंगाल में जाकर जितनी बार दीदी,
बंगाल में जाकर जितनी बार दीदी,
शेखर सिंह
दिल के सभी
दिल के सभी
Dr fauzia Naseem shad
3219.*पूर्णिका*
3219.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए
कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए
rkchaudhary2012
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जंगल में सर्दी
जंगल में सर्दी
Kanchan Khanna
जिंदगी के लिए वो क़िरदार हैं हम,
जिंदगी के लिए वो क़िरदार हैं हम,
Ashish shukla
मोहब्बत शायरी
मोहब्बत शायरी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
एक तरफ तो तुम
एक तरफ तो तुम
Dr Manju Saini
"लेखनी"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्ते चाय की तरह छूट रहे हैं
रिश्ते चाय की तरह छूट रहे हैं
Harminder Kaur
*कुमुद की अमृत ध्वनि- सावन के झूलें*
*कुमुद की अमृत ध्वनि- सावन के झूलें*
रेखा कापसे
पते की बात - दीपक नीलपदम्
पते की बात - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मछली रानी
मछली रानी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
उस पार की आबोहवां में जरासी मोहब्बत भर दे
उस पार की आबोहवां में जरासी मोहब्बत भर दे
'अशांत' शेखर
देख कर
देख कर
Santosh Shrivastava
बुढापे की लाठी
बुढापे की लाठी
Suryakant Dwivedi
लगाकर मुखौटा चेहरा खुद का छुपाए बैठे हैं
लगाकर मुखौटा चेहरा खुद का छुपाए बैठे हैं
Gouri tiwari
हमारी मोहब्बत का अंजाम कुछ ऐसा हुआ
हमारी मोहब्बत का अंजाम कुछ ऐसा हुआ
Vishal babu (vishu)
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
Shweta Soni
कुछ ना करना , कुछ करने से बहुत महंगा हैं
कुछ ना करना , कुछ करने से बहुत महंगा हैं
Jitendra Chhonkar
अंतराष्टीय मजदूर दिवस
अंतराष्टीय मजदूर दिवस
Ram Krishan Rastogi
Loading...