गज़ल_दिल में गैरों के, यूँ ना बसा कीजिये ।
दिल में गैरों के, यूँ ना बसा कीजिये ।
नाम मेरा न दिल पे, लिखा कीजिये।
इश्क करते यहाँ, लोग फूलों से’ हैं,
बनके’ कांटे कभी, मत सजा कीजिये।
आ गये आज तेरे, शहर में यहाँ,
दिल में’ तेरे ये’ मेरा, मका कीजिये।
हुस्न वालों के,’ होते हँ नखरे बहुत,
शान पे यूँ न अपनी, गुमा कीजिये।
कसमे’वादों पे’अब ना यकीं है तुम्हे,
इल्तिजा इक यही, ना जफा कीजिये।
जी न पायेंगे,’ तेरे बिना एक पल,
दिल से’अपने न हम को,जुदा कीजिये।
टूट जाये न दिल ये, हमारा कभी,
छोड़ दो बेवफाई, वफा कीजिये।
और कितना रखोगे बना मेहमां,
बेरहम, इस मकां से दफा कीजिये।
देव’ पलकों पे’ रहता, तु हर पल मिरे,
आइने में न दिल के, छुपा कीजिये।
शायर देव मेहरानियां ✍
अलवर राजस्थान