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18 Dec 2020 · 1 min read

गज़ल_दिल में गैरों के, यूँ ना बसा कीजिये ।

दिल में गैरों के, यूँ ना बसा कीजिये ।
नाम मेरा न दिल पे, लिखा कीजिये।

इश्क करते यहाँ, लोग फूलों से’ हैं,
बनके’ कांटे कभी, मत सजा कीजिये।

आ गये आज तेरे, शहर में यहाँ,
दिल में’ तेरे ये’ मेरा, मका कीजिये।

हुस्न वालों के,’ होते हँ नखरे बहुत,
शान पे यूँ न अपनी, गुमा कीजिये।

कसमे’वादों पे’अब ना यकीं है तुम्हे,
इल्तिजा इक यही, ना जफा कीजिये।

जी न पायेंगे,’ तेरे बिना एक पल,
दिल से’अपने न हम को,जुदा कीजिये।

टूट जाये न दिल ये, हमारा कभी,
छोड़ दो बेवफाई, वफा कीजिये।

और कितना रखोगे बना मेहमां,
बेरहम, इस मकां से दफा कीजिये।

देव’ पलकों पे’ रहता, तु हर पल मिरे,
आइने में न दिल के, छुपा कीजिये।

शायर देव मेहरानियां ✍
अलवर राजस्थान

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