गज़ल
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
दर्दे दिल की बता दवा क्या है
इश्क के सौदे तौल जिस्मों में
कहते हैं हुस्न की खता क्या है
तोड़ शीशा-ए-दिल मुहब्बत में
पूछते हैं तेरा लुटा क्या है
बहते आँसू वो देख कर बोले
दर्द तुमने अभी सहा क्या है
है सुकूँ बन्दगी में क्या यारो
मैं नहीं जानता दुआ क्या है
इतने बेताब हो रहे हो क्यूँ
रोग दिल को तेरे लगा क्या है
रूह में अपने मैं बसा आया
और इस से बड़ी वफ़ा क्या है
( लक्ष्मण दावानी ✍ )
1/9/2018