गज़ल
है ज़िन्दगी मेरी , मेरा जाँनिसार है वो
यादों में है मेरी दिल मे बरकरार है वो
हरेक अदा निराली है मोहब्बत में उनकी
हर दिल अजीज है मेरा राजदार है वो
सुनते है आशिको पे करता रहम है मौला
भरता है सब के कासे परवरदिगार है वो
कह दूँ में कैसे की उनसे मोहब्बत नही है
दिन का सुकूँ मेरे रातों का करार है वो
बस इक वही जमाने मे मुझे सबसे प्यारा
दिल की खुशी मेरे मेरा गमगुसार है वो
था उम्र भर जमाने की ठोकरों में ही मैं
हूँ अब तलक सलामत मेरा मेयार है वो
( लक्ष्मण दावानी ✍ )
16/8/2017