गज़ल
“गज़ल”
करीब आकर मुझे सताकर
बता दे तुझको मिला है क्या क्या
ये रंजिशे नफरतें क्यूं दिल मे
बता दे मुझसे गिला है क्या क्या।
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वो झूठे वादे वो झूठी कसमें
जो तुमने खाईं थी मुझसे मिलकर
भुला दीं वो क्यूं मिलन की यादें
बता दे मुझसे गिला है क्या क्या।
करीब आकर मुझे सताकर
बता दे तुझको मिला है क्या क्या
ये रंजिशे नफरतें क्यूं दिल मे
बता दे मुझसे गिला है क्या क्या।
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जगाई थी दिल में मेरे अरमाँ
रहेंगें संग संग जिन्दगी भर
क्यूं साथ छोडा फिर अधर में
बता दे मुझसे गिला है क्या क्या।
करीब आकर मुझे सताकर
बता दे तुझको मिला है क्या क्या
ये रंजिशे नफरतें क्यूं दिल मे
बता दे मुझसे गिला है क्या क्या।
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धड़कनो में तू बस गई है
निगाहों में है तेरा चेहरा
जियेंगे कैसे बिन तेरे हम तो
बता दे मुझसे गिला है क्या क्या।
करीब आकर मुझे सताकर
बता दे तुझको मिला है क्या क्या
ये रंजिशे नफरतें क्यूं दिल मे
बता दे मुझसे गिला है क्या क्या।
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कभी न सोचा था यूं सफर में
ज़ुदा ज़ुदा होंगी अपनी राहें
क्यूं बेवजह तुमने दिल को तोड़ा
बता दे मुझसे गिला है क्या क्या।
करीब आकर मुझे सताकर
बता दे तुझको मिला है क्या क्या
ये रंजिशे नफरतें क्यूं दिल मे
बता दे मुझसे गिला है क्या क्या।
🌷🌷🌷❤❤❤🌷🌷🌷
अभी भी नज़रें तुझे ही ढूढेँ
तेरे लिये दिल तड़पता मेरा
छुपी कहां है सामने आ
बता दे मुझसे गिला है क्या क्या।
करीब आकर मुझे सताकर
बता दे तुझको मिला है क्या क्या
ये रंजिशे नफरतें क्यूं दिल मे
बता दे मुझसे गिला है क्या क्या।
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के एम त्रिपाठी “कृष्णा”