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27 Jul 2020 · 1 min read

गज़ल

212 212 212
क्या बताएं कि क्या है गज़ल
शायरी की शमा है गज़ल ।

आशिकों की रज़ा है गज़ल
शायरों की सदा है गज़ल ।

मीर,मोमिन, ज़फर ही नहीं
मिर्ज़ा ,हसरत, निदा है गज़ल ।

कैफी, इक़बाल दुष्यंत के
दिल से निकली दुआ है गज़ल ।

आशिकी की ज़ुबाँ गर है ये
हुस्न की भी अदा है गज़ल ।

प्रेमिका के लिए आसरा
प्रेमी की माशुका है गज़ल ।

टूटे दिल की है उम्मीद भी
दर्दे दिल की जफ़ा है गज़ल ।

है अजय तेरे वश की नहीं
तेरे खातिर बला है गज़ल

-अजय प्रसाद

3 Likes · 1 Comment · 235 Views
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