गज़ल
गज़ल
मुमकिन नहीं जवाब हर एक सवाल का
गम जिंदगी ना कर अगर ये हल नहीं होते.
मायूस न हो ग़र मिले नाकामियां कभी
ऎसा हे कि सब खा़ब्ब मुसल्सल नहीं होते.
मुश्किल कोई भी हो यहां आसां नहीं होती
हैं एसे भी मसले जो कभी हल नहीं होते.
आँखो की किरकिरी भी लोग बनते है कभी
सब लोग आँख का मेरी काजल नही होते.
माँ-बाप मुहब्बत में यही चाहें कि बच्चे,
पल भर “मैत्री”निगाह से ओझल नहीं होते.