गज़ल :– ये उठे तूफान अक्सर जायजा करते नहीँ ॥
गज़ल :– ये उठे तूफान अक्सर जायजा करते नहीँ ।।
मापनी :–
2122–2122–2122–212
दिल में शोले जो रखे हों वो जला करते नहीँ ।
क्या डराएगा ज़माना हम डरा करते नहीँ ।
नफरतों में जो सने हो वो वफा करते नहीँ ।
नफरतो से जो मँजे हों वो दगा करते नहीँ ।
चीरती लहरों के सीने को यहाँ तब कस्तियां ।
जब समंदर कस्तियों का कायदा करते नहीँ ॥
दर्द को समझो सदा हालात को भी भाँपिए ।
हसरतें हर हाल में पूरी किया करते नहीँ ।
खुद के गुस्से पर ज़रा अंकुश लगाना सीख लो ।
ये उठे तूफान अक्सर जायजा करते नहीँ ।
अनुज तिवारी “इंदवार”