गज़ल :– जिसनें जाना है दाम फूलों का ।।
गज़ल :– करता मदहोश जाम फूलों का ।
बहर :—–
2122—1212—22
जिस नें जाना है दाम फूलों का ।
बन गया वो गुलाम फूलों का ।
हुस्न है , नूर नौजवानी है ।
करता मदहोश जाम फूलों का ।
जिसके दामन में प्यार हो हरदम ।
उसने पाया मुकाम फूलों का ।
फूल ही फूल हो गुलिश्तां में ।
हर जुबां पर हो नाम फूलों का ।
खिल उठेगी यहाँ गज़ल मेरी ।
लिख रहा हूँ कलाम फूलों का ।
गज़लकार :– अनुज तिवारी “इंदवार “